हवामहल जयपुर 1799 ईमहाराजा प्रताप सिंह द्वारा निर्मित। वास्तुकार लाल चंद उस्ता। पांच मंजिला। 953 खिड़कियां। आकृति कृष्ण के मुकुट के समान भारतीय-पफारसी शैली पर आधारित। 1999 में द्वितीय शताब्दी वर्ष मनाया गया है। चन्द्र महल (सिटी पैलेस) जयपुर सवाई जयसिंह द्वारा निर्मित। जयपुर राज परिवार का निवास स्थान। शिल्पी विधध्र भट्टाचार्य। सात मंजिला। जल […]
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कौटिल्य का कहना है कि राजा को अपने शत्रुओं सें सुरक्षा के लिए राज्य की सीमाओं पर दुर्गो का निर्माण करवाना चाहिये। राजस्थान में प्राचीन काल से ही राजा महाराजा अपने निवास की सुरक्षा के लिए, सामग्री संग्रह के लिए, आक्रमण के समय अपनी प्रजा को सुरक्षित रखने के लिए तथा पशुधन को बचाने के […]
अर्जुनलाल सेठी जन्म- 9 सितम्बर, 1880 (जयपुर) जैन परिवार में। 1906 ई. जयपुर में शिक्षा प्रचारक समिति की स्थापना की। 1907 ई. में अजमेर में जैन वर्ध्मान पाठशाला की स्थापना की जिसे 1908 मे जयपुर स्थानान्तरित कर दी। (भारत की प्रथम राष्ट्रीय विद्यापीठ) कार्यक्षेत्र-जिला अजमेर पुस्तके-शुद मुक्ति, स्त्र मुक्ति, मदन पराजय, पार्श्वयज्ञ। ‘महेन्द्र कुमार’-नाटक जयपुर […]
जिस समय अखिल भारतीय स्तर पर राजनीतिक चेतना फैल रही थी, राजस्थान भी इससे अछूता नहीं रहा। यहाँ विभिन्न संस्थायें जैसे राजस्थान सेवा संघ व राजस्थान मध्य भारत सभा देशी रियासतों मे राजनीतिक चेतना जागृत करने में सपफल रही। यही नही ब्रिटिश प्रान्त के कांग्रेसी कार्यकताओं से भी राजस्थान के स्वतंत्रता प्रेमी निरंतर सम्पर्क मे […]
यद्यपि 1857 की क्रांति मे राजस्थान की भूमिका अन्य राज्यों की अपेक्षा सक्रिय नही रही पिर भी ब्रिटिश सरकार ने राजाओं के माध्यम से यह पूरा प्रयास किया कि किसी प्रकार की राष्ट्रवादी भावनायें यहाँ न पनपने पायें। राजस्थान के पंरपरावादी सामंती समाज ने भी प्रगतिवादी प्रवृत्तियों को अधिक प्रश्रय नहीं दिया। पिर भी यहाँ […]
1857 ई. का प्रथम स्वतंत्राता संग्राम भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है। अधिकांश अंग्रेज इतिहासकारों ने इसे ‘‘सैनिक विद्रोह’’ या ‘‘गदर’’ ही माना है जो उचित नही है। यह सही है कि इस संग्राम का प्रमुख कारण सैनिक असंतोष था। लेकिन वास्तविकता यह है कि अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने का एक सामूहिक संग्राम […]
* ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (अजमेर) – गरीब नवाज * पृथ्वीराज चौहान तृतीय – राय पिथोरा * ह्वेनसांग (चीनी यात्रा) – तीर्थ यात्रियों का राजकुमार * बाप्पा रावल (कालभोज) – मेवाड़ का चार्ल्स मार्टल * महाराणा कुम्भा (मेवाड़) – अभिनव भरताचार्य * महाराणा कुम्भा (मेवाड़) – हिन्दु सुरताण * राणा […]
हल्दीघाटी का युद्ध – 21 जून 1576 ई. खमनौर की पहाड़ियों में स्थित हल्दीघाटी के मैदान में। महाराणा प्रताप तथा मानसिंह व आसफ खान के बीच (अकबर)। सारंगपुर का युद्ध – 1437 महाराणा कुम्भा तथा मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी के बीच इस युद्ध में महाराणा कुम्भा विजय हुए तथा इसके उपलक्ष्य में चित्तौड़गढ़ दुर्ग […]
पौराणिक काल रामायण व महाभारत काल में राजस्थान में मरू-जांगल व मत्स्य जांगल प्रदेश विद्यमान थे। जांगल के पास सपादलक्ष था। पाण्डवों ने अपने वन प्रवास का तेरहवां वर्ष (अज्ञात वास) राजा विराट की राजधनी विराटपुर (वर्तमान बैराठ) में छद्म रूप से व्यतीत किया। जांगलदेश की राजधनी अहिच्छत्रापुर (नागौर) थी। महाभारत में अर्बुद प्रदेश का […]
विश्व की प्राचीनतम अरावली की कंदराओं में मानव आश्रय काप्रमाण सर्वप्रथम भू-वैज्ञानिक सी.ए. हैकट ने 1870 ई. में इन्द्रगढ़(बूंदी) में खोज निकाला। )ग्वैद मे सरस्वती नदी एवं मरू दोनों का उल्लेख है। पाणिनी की अष्टाध्यायी में यूनानी आक्रमण केसमय शिवि जनपद व उसकी राजधनी माध्यमिका का उल्लेखमिलता है। राजस्थान में आर्य सभ्यता के प्रमाण अनूपगढ़(गंगानगर) […]