राजस्थान में पशु सम्पदा

राजस्थान में पशु सम्पदा-राजस्थान पशु सम्पदा मे काफी संपन्न व विकसित श्रेणी का माना जाता है जिसका अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

‘‘कृषि पशु-पालन पर निर्भर है तो पशु पालन कृषि पर’’। इनकी परस्पर निर्भरता समस्त भारत में अपना महत्व रखती है। लेकिन राजस्थान के संदर्भ मे वह ज्यादा प्रबल व प्रभावी मानी जा सकती है।

राजस्थान पशु-सम्पदा मे काफी उन्नत व विकसित श्रेणी का माना जाता है।

राजस्थान में शुष्क व अर्ध शुष्क क्षेत्रों मे लगातार सूखे व अकाल की दशाओं के कारण जीवन-यापन मे पशुधन का विशेष सहयोग प्राप्त होता है।

पशुपालन से राज्य की सकल घरेलू उत्पत्ति मे लगभग 13% का योगदान प्राप्त होता है। अन्य सूचक जो भारतीय संदर्भ मे राजस्थान की महता को दर्शाते है, इस प्रकार है-

ऽ राजस्थान मे देश के कुल दुग्ध् उत्पादन का अंश 90%।

ऽ राज्य मे पशुभार वहन शक्ति 35%।

ऽ बकरी मे राजस्थान का भारत मे अंश 30%।

ऽ ऊन में भारत में अंश 40%।

ऽ पशु संख्या भारत की संख्या का लगभग 11%।

राजस्थान में पशु सम्पदा – 19वीं पशु गणना

राज्य की 19वीं पशुगणना वर्ष 2012 मे की गई 19वीं पशुगणना के अनुसार राज्य में 5.77 करोड़ पशु एवं 80.24 लाख मुर्गियाँ है। वर्ष 2007 की तुलना मे वर्ष 2012 में राज्य की पशु सम्पदा में 10.6 लाख अर्थात 1.89 प्रतिशत की वृद्दि दर्ज की गई।

राज्य में सर्वाध्कि पशुधन  बाड़मेर जिलें में है, जबकि न्यूनतम पशुधन  धौलपुर  जिलें मे है। राज्य में सार्वध्कि पशुघनत्व डूंगरपुर जिलें में, जबकि न्यूनतम पशुघनत्व जैसलमेर जिले में है।

19वीं पशुगणना मे सर्वाध्कि वृ( गायों में देखी गई, जबकि न्यूनतम वृ( ऊँट एवं गध्े की रही।

उल्लेखनीय है कि राज्य में पशुगणना का कार्य प्रति 5 वर्ष में राजस्व मण्डल अजमेर करता है।

राजस्थान मे पशु सम्पदा 19वीं पशुगणना के अनुसार

पशु    कुल संख्या      देश मे राज्य का स्थान   देश मे प्रथम    राज्य मे सर्वाध्कि   राज्य में न्यूनतम

बकरी 216.65 प्रथम        राजस्थान           बाड़मेर             धौलपुर

गाय   133.24 पाँचवॉ       मध्यप्रदेश           उदयपुर             धौलपुर

भैंस   129.76 दूसरा        उत्तर प्रदेश          जयपुर             जैसलमेर

भेड़    90.79        तीसरा        आन्ध््र प्रदेश             बाड़मेर             बाँसवाड़ा

ऊँट    3.25         प्रथम        राजस्थान           जैसलमेर            प्रतापगढ़

सूअर 2.37         सत्रहवाँ       आसोम                   भरतपुर             डूंगरपुर

गध्े 0.81         पहला        राजस्थान           बाड़मेर             टोंक

घोड़े   0.377        चौथा        उत्तर प्रदेश          बीकानेर            डूंगरपुर

2012 की पशु संगठन के अनुसार राज्य में पशुओं की संख्या

577.3 लाख आँकी गई है। यह 2007 में 566.6 लाख रही थी।

2007-17 मे पशुओ की संख्या मे वृद्धि 10.7 लाख। राज्य में 2012 में गौवंश के पशु लगभग 1.33 करोड़, भेंड 0.91 तथा बकरी 2.7 करोड़ पाए गए।

2002-03 व पूर्व के अकालों में कापफी पशु पारे-पानी के अभाव मे मौत के मुँह मे चले गए थे, जिसमें राज्य के पशुधन  को भारी क्षति पहुंची थी।

. भारत में प्रथम पशुगणना दिसम्बर 1919 से अपै्रल 1920 के मध्य की गई।

. स्वतंत्र राजस्थान में 1951 में पशुगणना की गई।

. चार बीज उत्पादन फार्म – मोहनगढ़ (जैसलमेर)

. बतख चूजा उत्पादन केन्द्र – बांसवाड़ा

राजस्थान में पशु सम्पदा – गौवंश

. भारत की समस्त गौ वंश का लगभग 8 प्रतिशत भाग राजस्थान में पाया जाता है।

. राजस्थान का देश में गौवंश की दृष्टि से पाँचवा स्थान है।

. सर्वाध्कि-उदयपुर, चित्तौड़गढ़, बीकानेर भीलवाड़ा।

. न्यूनतम – धौलपुर

. प्रमुख नस्लें : सूत्र- मां थाका मेहसाना राहगीर।

. राजस्थान गौशाला पिजंरापोल संघ, जयपुर यह गौशाला विकास कार्यक्रम की राज्य में शीर्ष संस्था।

. बस्सी (जयपुर) में गौवंश संवर्ध्न फार्म स्थापित।

. राज्य गौ सेवा आयोग-जयपुर, स्थापना 23 मार्च 1951

. दौसा व कोड़मदेसर (बीकानेर) में गौ सदन स्थापित किये गये।

गिरः-

राजस्थान में पशु सम्पदा - gir

. मूल रूप से गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित गिर वन व काठियावाड़ क्षेत्र में।

. राजस्थान में इसे गेंडा व अजमेरी नाम से जानते है।

. यह पशु द्विप्रयोजनीय है।

. अधिक दूध् देने के लिए प्रसिद्ध ।

. राज्य में मुख्यतः अजमेर, किशनगढ़, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ बूंदी में पायी जाती है।

थारपारकर :-

राजस्थान में पशु सम्पदा- Tharparkar

. उत्पत्ति – सिंध् क्षेत्र व मालानी गांव (जैसलमेर)

. स्थानीय क्षेत्रों में इसे मालाणी या थारी नाम से जानते है।

. अधिक  दूध्, उत्पादन हेतु प्रसिद्ध ।

. बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर , बीकानेर, सांचौर में।

कांकरेज :-

राजस्थान में पशु सम्पदा - Kankrej

. मूल स्थान-गुजरात के कच्छ का रन क्षेत्र।

. भारत की सबसे भारी नस्ल मानी जाती है।

. बाड़मेर, सिरोही, पाली, सांचौर तथा नेहड़ क्षेत्र (जालौर)

. द्विप्रयोजनीय नस्ल (भारवाहन व दूध् हेतु)

राठी :-

rathi cow

. मूल स्थान – राठ क्षेत्र-उत्तरी-पूर्वी राजस्थान

. यह लाल सिंध्ी व साहीवाल की मिश्रित नस्ल।

. इसे राजस्थान की कामधेनु भी कहते है।

. दूध् उत्पादन हेतु प्रसिद्ध  (सम्पूर्ण भारत में)

. मुख्यतः श्रीगंगानगर जिले के दक्षिणी-पश्चिमी भाग। जैसलमेर के उत्तरी-पूर्वी भाग, बीकानेर के पश्चिमी भाग में।

. नोहर (हनुमानगढ़) में राठी के लिए गोवंश परियोजना केन्द्र व फर्टिलिटी की स्थापना।

. राठी प्रजनन केन्द्र-श्रीगंगानगर ।

नागौरी :-

. मूल स्थान-नागौर जिले का सुहालक क्षेत्र।

. इस नस्ल के बैल दौड़ने में तेज, भारवाहन व कृषि कार्यों में उत्तम क्षमता वाला।

. नागौर, जोधपुर  जिले का उत्तरी-पूर्वी भाग। नोखा (बीकानेर), रूपनगढ़ (अजमेर)

हरियाणवी :-

. मूल स्थान – रोहतक, हिसार, गुडगाँव, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ चुरू, सीकर, टोंक, जयपुर।

. इस नस्ल के लिए कुम्हेर (भरतपुर) में वृषभ पालन केन्द्र।

मालवी :-

. मूल स्थान – मध्यप्रदेश का मालवा क्षेत्र ।

. इस नस्ल के बैल भारवाही है तथा गाय कम दूध् देती है।

. बाँसवाड़ा, डुंगरपुर, कोटा।

विदेशी नस्ल :-

जर्सी-

Jersey cow

. मूल स्थान-अमेरिका

. बहुत कम उम्र में दूध् देने लगती।

. दूध् में वसा की मात्र 4 प्रतिशत।

. यह राज्य के मध्य व पूर्वी राजस्थान में।

हॉलिस्टिन :-

राजस्थान में पशु सम्पदा - holisten

. मूल स्थान – हौलैण्ड, अमेरिका

.सर्वाधिक दूध् देने वाली नस्ल

. दूध् में वसा की मात्र 3.5 प्रतिशत।

. यह राज्य के मध्य व पूर्वी राजस्थान में।

रेडडेन :-

. उत्पत्ति – डेनमार्क 20 से 25 लीटर दूध्

राजस्थान में पशु सम्पदा – भैंस

. राज्य में सर्वाध्कि भैस की संख्या अलवर, जयपुर, भरतपुर, उदयपुर।

. न्यूनतम – जैसलमेर

. भैंस अनुसंधन एवं प्रजनन केन्द्र -वल्लभनगर (उदयपुर)

मुर्रा (खुण्डी)-

. राज्य की सबसे प्रसिद्ध  भैंस नस्ल।

. राज्य में सर्वाध्कि भैंस इसी नस्ल की।

. मूल स्थान – मोंटगोमरी (पाकिस्तान)।

. अधिक  दूध् देने के लिए प्रसिद्ध

. दूध् में वसा की मात्र 7.8 प्रतिशत।

. पूर्वी जिलों – अलवर, भरतपुर, धौलपुर , जयपुर,कोटा बूँदी।

. गंगानगर के नहरी क्षेत्र में पायी जाती है।

. कुम्हेर (भरतपुर) में मुर्रा नस्ल की भैंस का प्रजनन।

जाफराबादीः-

. मूल स्थान-गुजरात का काठियावाड़ क्षेत्र।

. श्रेष्ठ मादा जानवर का पुरस्कार जीत चुकी।

. गुजरात से लगे दक्षिणी-पश्चिमी राजस्थान के जिलों में पायी जाती है।

सुरती :-

. मूल स्थान-गुजरात

. उदयपुर तथा उसके आसपास के क्षेत्र में पाई जाती है।

. अन्य नस्लें : नागपुरी, बदावरी, रथ।

राजस्थान में पशु सम्पदा – ऊँट वंश

. देश के कुल ऊँटों को राज्य में 70 प्रतिशत।

. सर्वाध्कि-बाड़मेर, बीकानेर, हनुमानगढ़ . न्यूनतम-झालावाड़।

. जैसलमेर के पास नाचना का ऊँट सबसे श्रेष्ठ, यह बोझ ढोने हेतु उपयुक्त।

. गोमठ (फलौदी) का ऊँट सवारी हेतु उपयुक्त।

. ऊँट की उन्नत नस्ल को विकसित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधन परिषद द्वारा जोड़नबीड (बीकानेर) में ऊँट प्रजनन कार्य संचालित किया जा रहा है। जहाँ केन्द्रीय ऊँट अनुसंधन संस्थान स्थित है।

. स्थापित-5 जुलाई 1984, प्ब्त्। द्वारा संचालित, ऊँट में सर्रा रोग पाया जाता है।

बीकानेरी –

. यह ऊँट की भारवाहक नस्ल है।

. क्षेत्र-बीकानेर, नागौर, जोधपुर , चुरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़।

जैसलमेरी :-

. इस नस्ल के ऊँट सवारी तथा दोड़ने में श्रेष्ठ है।

. जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर

कच्छी-सिंध्ी-अलवरी

राजस्थान में पशु सम्पदा – अश्व

. राज्य का देश में सातवां स्थान।

. सर्वाध्कि-बाड़मेर, जालौर, झालावाड़, उदयपुर जिले में

. न्यूनतम-बीकानेर, बांसवाड़ा जिले में।

. अश्व विकास कार्यक्रम सिवाना में संचालित

. बिलाड़ा (जोधपुर ), सिवाना (बाड़मेर), मनोहर थाना (झालावाड़), बाली (पाली), जालौर, चित्तौड़ में अश्व जनन

केन्द्र।

. मारवाड़ अश्व प्रजनन एवं अनुसंधन संस्थान-केरू (जोधपुर )

मालाणी –

. बाड़मेर-घुड़दौड़ देश में प्रसिद्ध

. मालाणी नस्ल के घोड़े बाड़मेर के सिवाना व गुड़ामलाणी क्षेत्र में पाए जाते हैं जो उन्नत नस्ल के लिए सम्पूर्ण देश में प्रसिद्ध ।

मारवाड़ी नस्ल

. राज्य में अधिकश संख्या इसी नस्ल की. मारवाड़ क्षेत्र में।

काठियावाड़ी नस्ल

. घुड़सवारी हेतु।

. इसका सिर अरबी नस्ल के घोड़े के समान।

. गुजरात से लगे क्षेत्र में (जालौर, सिरोही, उदयपुर)।

राजस्थान में पशु सम्पदा – मुर्गी पालन

. सर्वाध्कि – अजमेर, उदयपुर

. न्यूनतम – धौलपुर

. नस्लें – न्यू हैम्पशायर, रोड आइलैंडं, एस्ट्रोबाईट (सर्वाध्कि अण्डे देने वाली)

. उन्नत नस्ल की सर्वाध्कि मुर्गियां अजमेर में पायी जाती है।

. राजस्थान की अण्डों को टोकरी-अजमेर

. राज्य में कुक्कुट रोग निदान एवं आहार विश्लेषण हेतु अजमेर,

जोधपुर , कोटा तथा उदयपुर में प्रयोगशाला स्थापित की गई।

. अजमेर में मुर्गापालन प्रशिक्षण केन्द्र तथा राजकीय कुक्कुट प्रशिक्षण संस्थान (1988) की स्थापना की गई।

. राज्य में मुर्गीयों से संबंध्ति राष्ट्रीय बीज उत्पादन फार्म भीमपुरा (बांसवाड़ा) तथा कासिमपुर (कोटा) में।

. कड़कनाथ योजना :-बांसवाड़ा, कुक्कुट पालन की दृष्टि से मत्स्य पालन

. राजस्थान में अन्तर्देशीय मत्स्य पालन होता।

. जयसमन्द – उदयपुर

. माही बजाज सागर-बाँसवाड़ा, गैब सागर- डुंगरपुर

. मछली पकड़ने की निषेध -16 जून से 21 अगस्त

. राज्य में दो मत्स्य बीज उत्पादन फार्म

(।) कासिमपुरा (कोटा) (ठ) भीमपुरा (बांसवाड़ा)

. मत्स्य प्रशिक्षण विद्यालय -उदयपुर

. बड़ी तालाब (उदयपुर) में राज्य का पहला मत्स्य अभ्यारण्य बनाने की योजना।

राजस्थान में पशु सम्पदा – विशेष बिंदु

. राजस्थान राज्य पशुधन  प्रबंध्न व प्रशिक्षण संस्थान –

जामडोली (जयपुर)

. पशुपालन स्कूल-जयपुर, कोटा, जोधपुर

. पशु पोषाहार संस्थान-जामडोली (जयपुर)

. राजस्थान पशुधन  विकास बोर्ड-जामडोली (जयपुर), स्थापना 25 मार्च 1998

. राजस्थान राज पशुपालक कल्याण बोर्ड-जयपुर, स्थापना 13 अप्रैल 2005

. बस्सी (जयपुर)- राज्य में एकमात्र पशु सीरम बैंक।

. जैसलमेर के चांदन गांव में तुलमदर फॉर्म की स्थापना की गई जहाँ थारपारकर नस्ल के पशुओं को तैयार किये जाते हैं।

. बतख चूजा उत्पादन फॉर्म-बांसवाड़ा

. पशुपालन विभाग की स्थापना-1975

. पशुपालन व डेयरी विकास विभाग-2001

. भेडों की संख्या की दृष्टि से राज्य का देश में प्रथम स्थान।

. राज्य में भेड़ व ऊन प्रशिक्षण केन्द्र-जोधपुर

. राजस्थान राज्य सरकारी भेड़ व ऊन विपणन फेडरेशन की स्थापना 1977 में की गई।

. जोधपुर  जिला राज्य का सबसे अधिक  ऊन उत्पादक जिला

इसके बाद क्रमश : बीकानेर व नागौर।

. गध्े व खच्चर-सर्वाध्कि-बाड़मेर, बीकानेर, न्यूनतम-दौसा

पशुओं के रोग

. खुरपका, मुंहपका, – गाय, बैल, भेड़, बकरी, भैस,

. सर्रा – ऊँट

. रानीखेत, पूनी पेचित – मुर्गी

. तरड़िया – भेड

. स्वाइन फीवर – सुअर

. राज्य का एकमात्र पशु विज्ञान व चिकित्सा महाविद्यालय- बीकानेर

राजस्थान में पशु सम्पदा – विभिन्न योजनाएं

एडमास योजना :-

. भारतीय कृषि अनुसंधन परिषद द्वारा

. 1 अप्रैल 1999 से

. गाय व भैंस वंश से संबंध्ति है।

गोपाल योजना :-

. 2 अक्टूबर 1990 से

. राज्य के दक्षिणी-पूर्वी 10 जिलों में -कोटा, बूँदी, झालावाड़, चित्तौड़, डूँगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, टोंक, सवाईमाधेपुर, धौलपुर

कामध्ेनु योजना :-

. 1997-98 से।

. गौशालाओं को उन्नत नस्ल के दूधरू पशुओं का प्रजनन बनाने हेतु।

. राठी,थारपारकर, गीर व कांकरेल नस्ल की नस्लों को संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है।

राजस्थान राज्य डेयरी पफेडरेशन

. राज्य में दुग्ध् विकास से संबंध्ति शीर्ष संस्था

. स्थापना – 1977 में।

. राज्य का प्रथम प्लाज्मा केन्द्र बस्सी (जयपुर) में, दूसरा प्लाज्मा केन्द्र नारवा खींचियान (जोधपुर )

. राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत अकलेरा व डग (झालावाड़) में दो अवशीतन केन्द्र लगाए गये।

. राजस्थान की पहली महिला दुग्ध् उत्पादकता सहकारी समिति भोजसर गांव (बीकानेर) में।

. राजस्थान गौ सेवा संघ अजमेर में गौ अभ्यारण्य स्थापित किया जा रहा है।

. उरमूल डेयरी – बीकानेर

. गंगमूल डेयरी – श्रीगंगानगर

. वरमूल डेयरी – जोधपुर

. राज्य में विश्व बैंक की सहायता से राजस्थान राज्य की डेयरी विकास निगम (1975) की स्थापना की गई।

. राज्य की सबसे पुरानी डेयरी पद्मा डेयरी (अजमेर में)

राज्य में डेयरी फेडरेशन :-

. राज्य में दुग्ध् विकास से संबंध्ति शीर्ष संस्था

. स्थापना – 1977 में।

. राज्य में डेयरी फेडरेशन के अध्ीन 4 पशुआहार संयंत्र :-

. झोटवाड़ा (जयपुर)

. नदबई (भरतपुर)

. तबीजी (अजमेर)

. जोधपुर

राजस्थान में पशु सम्पदा – पशु प्रजनन केन्द्र

. डग (झालावाड़)-गी, मालवी-गाय, मुर्रा-भैंस नस्ल हेतु।

. कुम्हरे (भरतपुर)-हरियाणवी-गाय, मुर्रा-भैंस

. रामसर (अजमेर)-गीर-गाय, मुर्रा, भैंस

. जर्सी गाय व मुर्रा भैंस हेतु गोवंश संवर्ध्न फार्म बस्सी (जयपुर) द्वारा संचालित।

. राठी गाय हेतु गोवत्स परिपालन केन्द्र-नोहर (हनुमानगढ़)

. थारपारकर नस्ल हेतु केन्द्र केन्द्र सरकार द्वारा संचालित केंन्द्रिय पशु प्रजनन केन्द्र सुरतगढ़ (श्रीगंगानगर)

. थारपारकर गाय विकास या प्रजनन केन्द्र-किशनगढ़ (अजमेर)

. राठी गाय शोध् केन्द्र-अनूपगढ़ (श्रीगंगानगर)

. कांकरेज गाय प्रजनन केन्द्र-चौहटन (बाड़मेर)

अधिक जानकारी के लिए राजस्थान सरकार के पशुपालन विभाग की वेबसाइट पर भी विजिट कर सकते हैं : Click Here

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