हल्दीघाटी का युद्ध – 21 जून 1576 ई.
खमनौर की पहाड़ियों में स्थित हल्दीघाटी के मैदान में। महाराणा प्रताप तथा मानसिंह व आसफ खान के बीच (अकबर)।
सारंगपुर का युद्ध – 1437
महाराणा कुम्भा तथा मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी के बीच इस युद्ध में महाराणा कुम्भा विजय हुए तथा इसके उपलक्ष्य में चित्तौड़गढ़ दुर्ग में विजय स्तम्भ का निर्माण करवाया।
खातौली का युद्ध – 1517-18
मेवाड़ के महाराणा सांगा तथा दिल्ली के सम्राट इब्राहिम लोदी के बीच।
कोटा के निकट स्थित (खातौली) नामक स्थान पर हुए युद्ध में राणा सांगा की विजय हुई।
बाड़ी का युद्ध – 1518 (धोलपुर)
महाराणा सांगा तथा दिल्ली सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच।
इस युद्ध में राणां सांगा के विजय हुई।
गागरोण का युद्ध – 1519 झालावाड़
मेवाड़ के महाराणा सांगा तथा मांडु के सुल्तान महमूद खिलजी द्वितीय के बीच।
इस युद्ध में राणा सांगा की विजय हुई तथा मोहम्मद खिलजी को कैद कर लिया गया।
खानवा का युद्ध- 17 मार्च 1527 (रूपवास-भरतपुर)
मेवाड़ के महाराणा सांगा तथा दिल्ली के बादशाह के बीच।
इस युद्ध में राणा सांगा की पराजय तथा भारत में मुगल साम्राज्य की नीवं मजबूत हुई।
दिवेर का युद्ध – 1582
महाराणा प्रताप तथा सुल्तान खां के नेतृत्व में मुगल सेना के बीच।
इस युद्ध में महाराणा प्रताप की विजय हुई।
इस युद्ध को कर्नट जेम्स टॉड ने मेवाड़ का मैराथन कहा था।
गीगोली का युद्ध – 1807 (परबतसर – नागौर)
मेवाड़ राजकुमारी कृष्णाकुमारी से विवाह को लेकर जोधपुर के महाराणा मानसिंह तथा जयपुर के महाराजा जगतसिंह के बीच।
जिसमें जोधपुर की हार हुई
तराइन का प्रथम युद्ध-1191 (हरियाणा)
मोहम्मद गौरी व पृथ्वीराज चौहान तृतीय मध्य।
इस युद्ध में मोहम्मद गौरी की हार हुई थी।
तराइन का द्वितीय युद्ध-1192 (हरियाणा)
मोहम्मद गौरी तथा पृथ्वीराज चौहान तृतीय के मध्य।
इसमें पृथ्वीराज चौहान तृतीय पराजित हुआ।
अजमेर का युद्ध – 1135
चौहान शासक अर्णोराज तथा तुर्कों के मध्य।
इस युद्ध में तुर्को की पराजय हुई थी।
आबू का युद्ध- 1178
गुजरात के शासक मूलराज द्वितीय तथा मोहम्मद गौरी के मध्य इस युद्ध में मोहम्मद गौरी की पराजय हुई।
भूताला/नागदा का युद्ध – 1234 (उदयपुर)
मेवाड़ के महाराणा जैत्र सिंह तथा दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश के मध्य।
इस युद्ध में इल्तुतमिश को जैत्रसिंह ने हराया तथा चित्तौड़ को मेवाड़ की राजधनी बनाया।
रणथंभौर का युद्ध – 1301 (सवाई माधेपुर)
रणथभौर के चौहान शासक हमीरदेव तथा दिल्ली सुल्तान अलाउददीन खिलजी के मध्य।
इस युद्ध में रणमल व रतिपाल के विश्वासघात के कारण हमीर देव वीरगति को प्राप्त हुए तथा महाराणी रंगदेवी ने जल जौहर किया।
चित्तौड़गढ़ का युद्ध- 1303
मेवाड़ के महाराजा रतनसिंह तथा दिल्ली सुल्तान अलाउददीन खिलजी के मध्य।
इस युद्ध में महाराणा रतनसिंह सहित सैकड़ों सैनिक मारे गये तथा महाराणी पद्मिनी ने अनेक वीरांगनाओं के साथ जौहर किया।
सिवाणा का युद्ध- 1308 (जालौर)
सिवाणा के शासक शीतलदेव परमार तथा दिल्ली सुल्तान अलाउददीन खिलजी के मध्य।
शीतलदेव परमार वीरगति को प्राप्त हुए।
जालौर का युद्ध – 1311-12
जालौर के शासक कान्हड़देव तथा दिल्ली सुल्तान अलाउददीन खिलजी के मध्य।
इस युद्ध में अनेक राजपूत योधाओं के साथ कान्हड़देव वीरगति को प्राप्त हुआ तथा राणियों ने जाहौर किया।
कोसाणा का युद्ध – 1492 (भरतपुर)
मारवाड़ के राव शीतलदेव तथा अजमेर के सूबेदार मल्लू खाँ के मध्य।
इस युद्ध में मल्लू खां पराजित हुआ तथा उसका सेनापति गुड़ले खां मारा गया।
इसी उपलक्ष में मारवाड़ में घुड़ले का त्यौहार मनाया जाता है(चैत्र कृष्ण अष्टमी)।
पहोबा का युद्ध – 1541
बीकानेर शासक राव जैतसी तथा मारवाड़ शासक मालदेव के मध्य।
इस युद्ध में राव जैतसी मारा गया तथा मालदेव की विजय हुई।
गिरी सुमैल/ जैतारण का युद्ध – 1544
मारवाड़ के शासक मालदेव के सेनानायक जैता- कुपा तथा दिल्ली सुल्तान शेरशाह के मध्य।
इस युद्ध में बड़ी मुश्किल से जीतने के बाद शूरी ने कहा था- ‘‘मै एक मुटठी, बाजार के लिए पूरे हिन्दुस्तान की बादशाहत को खो देता’’।
चिर्त्तौड़गढ़ का युद्ध – 1567-68
मेवाड़ के महाराणा उदयसिंह के सेनानायक जयमल राठौड़ व फत्ता सिसोदिया बादशाह अकबर के मध्य।
जयमल तथा फत्ता शहीद हुए तथा मेवाड़ की वीरांगनाओं ने जौहर किया। मेवाड़ का तीसरा साका हुआ।
मतीरे का राड़ युद्ध – 1644 (नागौर)
नागौर के अमरसिंह राठौड़ तथा बीकानेर महाराणा करणसिंह के मध्य।
महोबा का युद्ध – 1182
चंदेल शासक परमर्दिदेव तथा पृथ्वी चौहान तृतीय के मध्य।
इस युद्ध में परमर्दिदेव के सेनानायक शहीद हुए तथा पृथ्वी राज चौहान तृतीय विजयी रहे।
दौराई का युद्ध – 1659 (अजमेर)
औरंगजेब तथा द्वारा शिकों के मध्य। औरंगजेब की विजय हुई।
कामा का युद्ध (भरतपुर)
जयपुर के शासक माधेसिंह तथा भरतपुर शासक जवाहरसिंह के मध्य।
इस युद्ध में माधेसिंह की विजय हुई।
तुगा का युद्ध – 1787 (दौसा)
जयपुर तथा जोधपुर राज्यों द्वारा मराठों के विरुद्ध महादजी सिंध्यि की हार।
भटनेर का युद्ध – 1805 (हनुमानगढ़)
भटनेर तथा बीकानेर के राठौड़ों के मध्य हुआ। जिसमें राठौड़ विजयी रहे।